गेंदे की उन्नत खेती | कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाये | MARIGOLD FARMING IN HINDI

भारत में आम तोर पर गेंदे की खेती सभी जगह पर की जाती हे यह एक सजावटी पोधा हे भारत में गेंदा के फूल की जरुरत शादी विवाह धार्मिक ऊत्सव में अधिक रहती हे जिससे गेंदे की खेती एक नकदी फसल के तोर पर बढ़ती जा रही हे गेंदे की उन्नत खेती (गेंदे की उन्नत खेती | कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाये | MARIGOLD FARMING IN HINDI) की पुरी जानकारी यहाँ बताई गई हे  

गेंदा एक सजावटी पौधा होने के कारण यह आम तोर पर सभी घरो में भी पाया जाता हे गेंदे के फूल की मांग बढने के कारण गेंदे की खेती साल के 12 महीने होने लगी हे

MARIGOLD FARMING
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गेंदे की फूल की 1 यह विशेषता यह भी हे की जब किसी महीने में अन्य फूल की खेती नहीं की जाती हे तब भी गेंदे के फूल की खेती की जा सकती हे गेंदे की दूसरी विशेषता यह हे की इसके फूल कई दिनों तक ताज़ा बने रहते हे गेंदे की खेती सभी तरह की भूमि में और सभी तरह के मौसम में की जा सकती हे  

गेंदे की खेती – MARIGOLD FARMING IN HINDI

गेंदे की शुरुआत भारत से हुई हे लकिन गेंदे की दोनों मुख्य किस्मे फ्रेंच मैरीगोल्ड और अफ्रीकन मैरीगोल्ड की किस्म भारत में बहुत ही लोकप्रिय हें गेंदे की खेती भारत में बहुत से राज्यों में की जाती हे जिनमे से राजस्थान , मध्यप्रदेस , उतर प्रदेस , हरियाणा , पंजाब , आंध्र परदेश , हिमाचल प्रदेस , कर्नाटक , तमिलनाडु,  पश्चिम बंगाल,  महाराष्ट , आदि में अधिक की जाती हे

गेंदा का वैज्ञानिक नाम क्या हे

गेंदे का वैज्ञानिक नाम TAGETES हे भारत में गेंदे की बहुत सी अन्य वेरायटी भी बड़ी प्रसिद्ध हे

गेंदे की खेती के लिए भूमि का चुनाव

गेंदे की खेती सभी तरह की भूमि सभी तरह के मौसम में की जा सकती हे गेंदे की खेती उचित जल निकास वाली भूमि में करना अच्छा रहता हे लेकिन बलुई दोमट मिटटी जिसका ph मान 6 से 7  के लगभग होता हे वह बहुत ही अच्छा रहता हे मिट्ठी जितनी भुरभुरी और दानेदार होगी उतना अच्छा हे कंकड़ पत्थर और क्षारीय भूमि इसकी खेती के लिए अच्छी नहीं होती हे

जिस जमीन में पानी जयादा समय तक रुकता हे उस भूमि में गेंदे की खेती नहीं करनी चाहिए गेंदे की खेती शहरी क्षेत्रों के पास करना अच्छा रहता हे रेतीली मिटटी में पानी बहुत ही कम रुकता हे जिसके कारण गेंदे की खेती में रोग कम होते हे

गेंदे की खेती के लिए बीज की मात्रा और बुआई का समय और रोपण का समय 

मौसम           बीज की मात्रा     बीज बुआई का समय    रोपण का समय    तुड़ाई  

वर्षा ऋतु       600 से 900 ग्राम           जून                       जुलाई              सितम्बर मध्य

सर्दी            600 से 700 ग्राम           अगस्त           सितम्बर          नवम्बर अंत में

गर्मी           700 से  800 ग्राम          फरवरी                    मार्च                  मई

बीज की ये मात्रा संकर किस्म की प्रति हेक्टेयर हे और देशी किस्म में बीज की मात्रा डेड गुनी होगी , देशी किस्मो में बिज की अंकुरण श्रमता कम होती हे जिसके कारण बिज की अधिक मात्र की आवश्यकता होती हे बिज का चुनाव आप बहुत ही सोच – समझ कर करे जिससे आप को उत्पादन अच्छा मिले और फसल में रोग कम लगेगा

मिटटी का प्रकार

आप आसानी से किसी भी तरह की मिटटी में गेंदे की खेती कर सकते हे विशेष रूप में बलुई दोमट मीठी जिसकी जल धारण सर्मता उच्च हो और ph मान 6 से 7 के लगभग हो फूलो की अधिक मात्रा और पैदावार के लिए 15 से 28 डिग्री सें तापमान अच्छा रहता हे

रेतीली और बलुई दोमट मिटटी में गेंदे की खेती करना बहुत ही अच्छी हे वह मिटटी जिसकी जल धारण श्रमता अधिक होती हे उस मिटटी में आप को उत्पादन अधिक और रोग लगने की सम्भावना कम होती हे

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गेंदे की उन्नत किस्मे 

अफ्रीकन गेंदे की किस्मे – पूसा नारंगी , पूषा बसंती , अफ्रीकन ऑरेंज , अफ्रीकन येलो , डबल गोल्डन जुबली , गोल्डन मेमोयं ,गोल्डन येलो क्राउन आफ गोल्ड , येलो हम्फी  , येलो कलाइमेक्

अफ्रीकन गेंदे की हाइब्रिड  – फर्स्ट लैडी , ग्रे लेडी , गोल्ड लेडी , इनका येलो , इनका गोल्ड


फ्रेंच गेंदे की किस्मे – 

( A ) सिंगल – डायनटी मेरियठा , रेफेल्ड रेड , नॉटी मेरियठा
( B ) डबल  – बोलेरो , बोनिता , बरपीस गोल्ड , नगेट बरपीस रीड एंड गोल्ड , बटेर स्कॉच कारमेन

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खाद् एवं उवर्रक क्या डाले

गेंदे की खेती में खाद और उर्वरक की बहुत ही अधिक आवश्यकता होती हे खाद की पूर्ति फसल में आप पूरी कर देते हे तो आप का उत्पादन पर बहुत ही अच्छा परभाव पड़ता हे

सड़ी हुई गोबर खाद  -250 से 300 कुंतल पर हेक्टेयर
सिंगल सुपर फास्फेट  – 800 से 900 किलोग्राम पर हेक्टेयर
पोटास  – 150 से 200 किलोग्राम पर हेक्टेयर
यूरिया  – 500 किलोग्राम पर हेक्टेयर

आप खाद का उपयोग खेत में अच्छी तरह करेंगे जिससे खाद भी अधिक नहीं लगेगा और उत्पादन भी अच्छा मिलेगा

गोबर की सड़ी हुई खाद सुपर फास्फेट पोटास और यूरिया का 1 तिहाई भाग को खेत तैयार करते समय खेत में अच्छी तरह मिला ले यूरिया का बाकि बचा हिस्सा दो बार फसल लगाने के 30 के लगभग और इसके 20 दिन के बाद दुबारा छिड़क दे

गेंदे की नर्सरी तैयार करना 

गेंदे की खेती के लिए सबसे पहले बिज से अलग क्यारी में नुर्सरी तेयार करनी होती हे गेंदे की पौध तैयार करने के लिए पहले क्यारी तैयार करे जिसकी चौड़ाई 1 मीटर और लम्बाई जगह और आवश्य्कता के अनुसार 10 फिट , 20, फिट , 50 फिट आप रख सकते हे और क्यारी 10 से 15 सैमी ऊंची होनी चाहिए

जिससे पानी क्यारी में रुके नहीं , क्यारी में बीज बुआई के पहले क्यारी को कैप्टॉन और बाविस्टिन ( 0. 2 %) पर्तिशत से उपचारित करे जिससे पौधे में दीमक और फंगस रोग नहीं लगेगा और पौध ख़राब नहीं होगी क्यारी में नमी कम होने पर ही पानी दे जयादा पानी से भी आप की पोध ख़राब हो सकती हे पोध में पानी की आवश्यकता होने पर ही पानी क्यारी में दे

बीज की बुआई 

बीज की बुआई के लिए अच्छी किस्म के बीज का चुनाव करे बिज की बुआई आप धीरे धीरे करे यह काम आप मशीन से या मजदूरो की सहायता से कर सकते हे बिज की बुहाई करने के बाद हलकी परत मिटटी और खाद की चढ़ा दे और सावधानी पूर्वक सिचाई कर दे क्यारी में बिज को लगाने के पहले आप क्यारी में फंगीसाईड का स्प्रे जरुर करे जिससे नुर्सरी में रोग कम लगेंगे और अच्छी नुर्सरी मिलेगी

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बीज की मात्रा

बीज का अंकुरण 16 से 30 डिग्री तापमान पर 5 से 8 दिन में हो जाता हे बीज की मात्रा अलग अलग किस्मो के आधार पर होती हे संकर किस्मो के  लिए 700 से 1000 ग्राम  पर हेक्टेयर की दर से बिज की आवश्यकता होती हे देशी किस्म के बीजो की नुर्सरी तेयार करने पर आप को 1000 से 1500 ग्राम बिज की आवश्यकता होती हे आप अपने पसंद के अनुसार बिज का चुनाव कर सकते हे

 बीज बुआई का समय 

मौसम                     बीज बुआई का समय         रोपण का समय

वर्षा ऋतु                 जून                                   जुलाई

सर्दी                       सितम्बर                            अक्टुम्बर

गर्मी                       फरवरी                               मार्च

पौध रोपण 

गेंदे की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए की रोपाई समय पर करना जरुरी होती हे पौध के 4 से 5 पत्तिया हो जाने पर यह खेत में लगाने के लिए ठीक रहती हे पौध की रोपाई शाम के समय ही करनी चाहिए और जड़ को अच्छी तरह मिट्ठी में दबा दे जिससे जड़ सूखे नहीं हवा में न रहे ल पौध लगाने के बाद हलकी सिचाई कर देनी चाहिए


पौधे से पौधे की दुरी कयारी में 30 सेमी ( डेढ़ फिट के लगभग रखे ) और लाइन से लाइन की दुरी 2 से ढाई फिट के लगभग की रखे अन्य जगह सुविधानुसार रखे

जब आप क्यारी के अलावा पोध को बेड पर लगाते हे तब पोधे से पोधे की दुरी 1 से डेढ़ फिट पर रखे एक ही बेड पर 2 ड्रिप लगाने पर आप लाइन से लाइन की दुरी भी बराबर ही रख सकते हे लाइन से लाइन और पोधे से पोधे की दुरी एक रख सकते हे

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सिचाई  – MARIGOLD FLOWER FARMING IN HINDI

गेंदा 1 साखीय पौधा होता हे इसकी वर्दी 45 से 55 दिनों के लगभग होती हे सर्दी में सिचाई 10 से 15 दिन के लगभग और गर्मी में सिचाई 4 से 7 दिन में कर देना अच्छा रहता हे जब आप ड्रिप मे गेंदे की खेती करते हे तो आप सर्दी में 4 से 6 दिन में और गर्मी में 2 से 3 दिन में इसकी सिचाई कर सकते हे

गर्मी में आप सिचाई गर्मी के तापमान और जमीन के अनुसार भी कर सकते हे गर्मी अधिक होने पर खेत की नमी के अधर पर आप जलधि सिचाई कर सकते हे

गेंदे में लगने वाले किट और बीमारिया 

किट – गेंदे में रेड स्पाइडर माइट और चेपा दो किट अधिक लगते हे
बीमारिया – गेंदे में आद्र गलन और झुलसा रोग अधिक होता हें

गेंदे में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए बाजार में बहुत सी दवाये आज उपलब्ध हे

रेड स्पाइडर माइट – यह किट पोधे की पत्तियों और कोमल भाग को काटकर और रस को चूसकर के नुकसान पहुचाता हे

चेपा किट – यह किट भी गेंदा की खेती में बहुत ही नुकसान देय होता हे यह किट पोधे की पत्तियों के निचले भाग में और पत्ती के निचे छुपा होता हे इसके अधिक प्रभाव में फसल पर बहुत ही नुकसान होता हे इसकी रोकथाम के लिए आप बहुत सी दवाये कम में ले सकते हे जो आप को आसानी से बाजार में मिल जाएगी इसकी रोकथाम के लिए आप 30 ec डायमेथोएट का उपयोग कर सकते हे जो आप को आसानी से बहुत सी कम्पनी के अंदर आप को मिल जाएगी जेसे ( admayer , रोगोर , लेन्सेर्गोल्ड आदि )

आद्र गलन – यह बीमारी सभी तरह की पोध तेयार करते समय आती हे इसमें पोधे का तना गलने लगता इसकी रोकथाम के लिए आप नुर्सरी में bavistin या capton का स्प्रे करते रहे जिससे फंगस के कारण आप के पोधे ख़राब नहीं होंगे

झुलसा रोग – इस रोग के होने पर पोधे की पत्तिय और तना झुलसा हुआ दिखाई देते हे जिससे पोधे का उत्पादन बहुत ही कम हो जाता हे और पोधे की पत्तिया काली और पत्तिया पर काले काले धब्बे दिखाई देते हे इस रोग की रोकथाम के लिए आप ( 0.2 daythen M ) का स्प्रे कर सकते हे

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गेंदे की कटिंग या पिंचिंग करना 

गेंदे की खेती में अधिक पैदावार लेने के लिए कुछ विशेष तकनीक का सहारा लेकर आप भी अपने उत्पादन को बड़ा सकते हे इनमे से ही एक यह तकनीक हे

इस तकनीक में पौधे को 30 से 40 दिन का हो जाने के बाद पौधे को ऊपर से चटका ( शीर्ष को काट ) देना चाहिए जिससे पोधे की बढ़वार रुक जाएगी और पौधे की अधिक शाखाये निकलने लगेगी जिससे अधिक फूल की पैदावार होगी और अच्छा लाभ हमें मिलेगा

खरपतवार नियंत्रण और निराई गुड़ाई

गेंदे के अंदर खरपतवार पोधे की बढ़वार और पैदावार को कम करता हे ये पौधे में देने वाले खाद सोख लेता हे और किट पतंगों को पैदा करता हे खरपतवार का नियंत्रण समय समय पर करते रहना चाहिए निराई गुड़ाई करते समय मिटटी पोधे की जड़ पर चढ़ा देना चाहिए


खरपतवार का नियंत्रण मजदूरों से निराई गुड़ाई से भी करवा सकते हे और इसके लिए रासायनिक उपचार में भी अभी बहुत सी दवाये भी मार्केट में उपलब्ध हे

फूलोँ की तुड़ाई और उत्पादन – MARIGOLD FLOWER FARMING IN HINDI

फूलो की तुड़ाई और बेचना

गेंदे की तुड़ाई 4 से 6 दिन में हो जाती हे जो आप की देखभाल पर भी निर्भर करता हे फूल की तुड़ाई आपको सुबह या शाम के समय करना ठीक रहता हे जिससे फूल ताजा रहते हे और फूलो का भाव भी आपको बहुत ही अच्छा मिलेगा फूलो को आप जब शाम के समय तुड़ाई करते हे तो वह आपके पोधे के लिए बहुत ही अच्छा रहता हे – MARIGOLD FLOWER FARMING IN HINDI

फूल का उत्पादन

गेंदा की खेती में सामान्य उत्पादन जमीन की उर्वरा शक्ति पर निर्भर करता हे और तकनीक का उपयोग करके भी अपने उत्पादन को बड़ा सकते हे जिससे आप को गेंदा की खेति मे अच्छा लाभ मिलने की सम्भावना होती हे

सामान्य तोर पर 125 कुंतल पर हेक्टेयर से 150 कुंतल पर हेक्टेयर के लगभग फूलो की खेती में फूलो का उत्पादन हो जाता हे अगर आप अच्छी किस्मो का चुनाव करते हे और पोधे की अच्छी देखभाल करते हे तो आपको 300 कुंतल तक का उत्पादन फसल समाप्त होने तक मिल जाता हे

फूलो के उत्पादन के कुछ मुख्य कारण भी होते हे जिनमे से कुछ मुख्य कारण हे बीज की किस्म और उवरको का उपयोग , पानी की पूर्ति , फसल की रोगों से बचाव , समय पर दवाओ का उपयोग , मिटटी का चुनाव , खेती में तकनीक का उपयोग ये सभी कारणों का आप सही तरह से धयान रखते हे तो आप को फसल में उत्पादन और लाभ दोनों ही अधिक मिलेगा , MARIGOLD FLOWER

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