स्पिरुलिना की खेती से किसान कम लागत और कम जमीन में कमाये लाखोँ रूपये का मुनाफा | spirulina farming in hindi
आप किसान हें तो आपने कभी ना कभी जरुर सोचा होगा की कोनसी एसी फसल की खेती करे जिसमे कम लागत में , कम जमीन में , बिना मोसम की मार के लाखोँ रूपये कमाँये जा सके तो आज हम आपकों एक ऐसी ही फसल की जानकारी देने वाले हें
यह हमारी फसल हें स्पिरुलिना इसे सुपर फ़ूड के नाम से भी जाना जाता हें जिसे किसान हरा – सोना भी कहते हें
कुछ सालों में जब से ओषधीय फसलों की खेती का चलन बड़ा हें तब से बहुत बड़े किसान इसकी खेती करने लगे हें और कुछ सालों से जब से पतंजलि ने भी स्पिरुलिना के केप्सूल बाजार में लाये हें तब से बहुत बड़े बड़े व्यापारी भी इसकी खेती की तरफ रुख करने लगे हें
स्पिरुलिना खेती, पोषक तत्वों से भरपूर नीले-हरे शैवाल की खेती हें यह भारत में महत्वपूर्ण संभावनाएं रखती है अपने उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभों और संभावित आर्थिक व्यवहार्यता के साथ, स्पिरुलिना खेती ने एक टिकाऊ और आकर्षक कृषि व्यवसाय के रूप में ध्यान आकर्षित किया है
spirulina farming in hindi – स्पिरुलिना की खेती की जानकारी
स्पिरुलिना खेती का परिचय
स्पिरुलिना, जिसे वैज्ञानिक रूप से आर्थ्रोस्पिरा प्लैटेंसिस के रूप में जाना जाता है, एक सूक्ष्म शैवाल है जो गर्म और क्षारीय वातावरण में पनपता है। इसके पोषण संबंधी प्रोफाइल में उच्च प्रोटीन सामग्री, आवश्यक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट शामिल हैं
स्पिरुलिना की खेती हम जिस स्थान पर कर रहे हें वहा का तापमान गर्म होना चाहिये इसकी खेती 15 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस तक अच्छा रहता हें जितनी
विकास माध्यम तैयार करना
पोषक तत्व मिश्रण – सोडा, यूरिया और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के बाइकार्बोनेट को पानी में मिलाकर विकास माध्यम तैयार करें। यह मिश्रण स्पिरुलिना के विकास के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करता है
पीएच समायोजन – लगभग 9-10 का थोड़ा क्षारीय पीएच स्तर बनाए रखें, जो स्पिरुलिना के विकास के लिए अनुकूल है,spirulina farming in hindi
टीकाकरण और विकास
स्टार्टर कल्चर का परिचय :- तालाब के पानी में थोड़ी मात्रा में स्पिरुलिना स्टार्टर कल्चर डालें। यह स्पिरुलिना विकास की नींव के रूप में कार्य करती है
स्पिरुलिना कोशिका विभाजन के माध्यम से गुणा करता है। समय के साथ, स्पिरुलिना की आबादी बढ़ने पर तालाब का पानी हरा हो जाता है
निगरानी और रखरखाव
तापमान नियंत्रण – यह सुनिश्चित करने के लिए कि पानी सीमा के भीतर रहे, नियमित रूप से पानी के तापमान की निगरानी और समायोजन करें
हिलाना – ठहराव को रोकने और पोषक तत्वों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए पानी को नियमित रूप से हिलाएं
पोषक स्तर- स्पिरुलिना के विकास में सहायता के लिए उचित पोषक तत्व स्तर बनाए रखें। असंतुलन को रोकने के लिए नियमित परीक्षण आवश्यक है
स्पिरुलिना का उत्पादन
जैसे-जैसे स्पिरुलिना बढ़ती है, पानी का रंग गहरे हरे रंग में बदल जाता है, जो कटाई के लिए तेयार होने का संकेत देता है।
कटाई तकनीक : तालाब से स्पिरुलिना इकट्ठा करने के लिए महीन जाली वाले जाल का उपयोग करें
स्पिरुलिना की खेती आप बहुत कम जगह में भी कर सकते हें जिसकी खेती किसान तालाब में और सीमेंटेड टंकी में भी करते हें जिसके लिये आप 15 फिट लम्बे ,,3 फिट चोडे और 30 से 40 सेमी गहराई वाले टेंक का निर्माण करके इसमें आप इसकी खेती कर सकते हें
जेसे : – किसान 10 X 20 फिट लम्बाई का टेंक तेयार करते हें तो इसमें ओसतन 2 किलों कल्चर का उत्पादन होता हें जिसमे 2 किलों गिले कल्चर में 200 ग्राम के लगभग सुखा पावडर मिलता हें जिसमे आपके 1 टेंक में 1 महीने में 6 किलों पावडर का उत्पादन होता हें स्पिरुलिना का ओसत भाव 1000 रूपये के लगभग होता हें
अगर आप ओसत 800 रूपये किलों का भाव भी लगाते हें तो आप 1 टेंक से 48 सो रूपये की आय मिनिमम होती हें और आप लगभग ऐसे 10 टेंक भी बना लेते हें तो आप आसानी से 40 से 50 हजार रूपये की आय प्रति महिना आसानी से कर सकते हें
प्रसंस्करण ,पैकेजिंग और भंडारण
मिलिंग – एक बार सूख जाने पर, स्पिरुलिना को पीसकर बारीक पाउडर बना लें, जिसे विभिन्न उत्पादों में शामिल करना आसान होता है
पैकेजिंग – इसके पोषण मूल्य को संरक्षित करने के लिए पाउडर स्पिरुलिना को एयरटाइट कंटेनर में पैकेज करें
भंडारण – पोषक तत्वों के क्षरण को रोकने के लिए पैक किए गए स्पिरुलिना को सीधे धूप से दूर ठंडी, सूखी जगह पर रखे
स्पिरुलिना खेती के लाभ
पोषण संबंधी पावरहाउस स्पिरुलिना प्रोटीन, विटामिन , खनिज (आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम) और एंटीऑक्सिडेंट का एक समृद्ध स्रोत है
स्वास्थ्य लाभ – स्पिरुलिना की खेती खुले तालाबों या बंद बायोरिएक्टर जैसी सरल संरचनाओं में की जा सकती है। इसकी तीव्र विकास दर और न्यूनतम स्थान की आवश्यकता इसे छोटे पैमाने और बड़े पैमाने पर खेती दोनों के लिए उपयुक्त बनाती है
चुनौतियाँ
मोसम : सफल खेती के लिए उपयुक्त तापमान और पीएच स्तर बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
संदूषण नियंत्रण : शुद्ध स्पिरुलिना विकास सुनिश्चित करने के लिए अन्य सूक्ष्मजीवों से संदूषण को रोकना आवश्यक है।
कौशल और ज्ञान : सफल पैदावार प्राप्त करने के लिए स्पिरुलिना खेती तकनीकों की गहन समझ प्राप्त करना सर्वोपरि है।
स्प्रुलिना की गोली केसे बनाई जाती हें
स्पिरुलिना को टेंक से निकलने के बाद में इसकी छनाई की जाती हें जिसके बाद में इसको हल्की सुखाया जाता हें इसके सुकने के बाद में इसका पाउडर बन जाता हें जिसके बाद में आप इसकी छोटी- छोटी गोलिया मशीन की सहायता से या हाथ से आप इसकी छोटी – छोटी गोलिया बना सकते हें
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Spirulina Farming Cost
15 फिट लम्बे और 4 फिट चोडाई वाले और 30 सेमी गहराई वाले टेंक का पक्का निर्माण अगर आप करते हें तो आपकों 3 हजार से 5 हजार रूपये की लागत अधिकतम होती हें
अगर आप पोलोथिन शिट की सहायता से कचे टेंक का निर्माण करते हें तो आपकों अधिकतम 1500 से 2000 रूपये की लागत आती हें जिसके हिसाब से आप अपनी शुरूआती लागत का पता लगा सकते हें
आप अपने टेंक की संख्या बड़ा कर के अपनी आय बड़ा सकते हें और अपनी लागत को कम करते हें
Spirulina Farming Profit
अगर किसान 10 X 20 फिट लम्बाई का टेंक तेयार करते हें तो इसमें ओसतन 2 किलों कल्चर का उत्पादन होता हें जिसमे 2 किलों गिले कल्चर में 200 ग्राम के लगभग सुखा पावडर मिलता हें जिसमे आपके 1 टेंक में 1 महीने में 6 किलों पावडर का उत्पादन होता हें
स्पिरुलिना का ओसत भाव 1000 रूपये के लगभग होता हें अगर आप ओसत 800 रूपये किलों का भाव भी लगाते हें तो आप 1 टेंक से 48 सो रूपये की आय मिनिमम होती हें और आप लगभग ऐसे 10 टेंक भी बना लेते हें तो आप आसानी से 40 से 50 हजार रूपये की आय प्रति महिना आसानी से कर सकते हें
Spirulina Farming at home
स्पेरुलिना का उत्पादन आप बहुत कम जगह से सुरुआत कर सकते हें इसके लिये आप कुछ तकनीक की सहायता से घर में एक कमरे जितनी जगह से भी कर सकते हें बहुत से लोग पानी के टब में और घर में भी छोटे – छोटे टेंक बनाकर के भी स्पेरुलिना की खेती करते हें
spirulina farming in hindi :- स्पिरुलिना की खेती भारत में अपार संभावनाएं रखती है, जो पोषण संबंधी लाभ और आर्थिक अवसर दोनों प्रदान करती है। खेती की प्रक्रिया को समझकर, चुनौतियों पर काबू पाकर और सर्वोत्तम तकनीक को अपनाकर, किसान इस उल्लेखनीय सूक्ष्म शैवाल का उत्पादन कर सकते हैं। जैसे-जैसे भारत का कृषि क्षेत्र विकसित हो रहा है, स्पिरुलिना खेती एक प्रगतिशील और टिकाऊ प्रयास के रूप में उभर रही है, जो व्यक्तिगत स्वास्थ्य और कृषि समृद्धि दोनों में योगदान दे रही है
स्पिरुलिना की खेती में किसान कम जमीन ,, कम लागत और कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हें यह एक कम कम खर्च वाली तकनीक पर आधारित खेती हें जिसमे किसान अपने खेत में बहुत छोटे से हिस्से से सुरुआत करके लाखों रूपये की आय कर सकते हें, ( spirulina farming in hindi )
स्पिरुलिना की खेती से किसान कम लागत और कम जमीन में कमाये लाखोँ रूपये का मुनाफा | spirulina farming in hindi