sarpagandha farming guide benefits – सर्पगन्धा एक उपयोगी ओषधीय पौधा होता हे सर्पगंधा के फूल और जड़ो का उपयोग दवाओं में किया जाता हे इसका पौधा अधिकतम 3 फिट की ऊचाई का होता हे
इसके फूलो का रंग सफ़ेद और लाल ,गुलाबी होता हे यह 18 – 20 माह की फसल होती हे इसका सबसे उपयोगी भाग जड़ होती हे यह एक मेडिसीन क्रॉप जिसका सबसे अधिक उपयोग दवाओं में किया जाता हे
सर्पगंधा का उपयोग सांप के काटने और बिच्छू के काटने पर भी किया जाता हे इसके घाव के स्थान पर इसे लगाया जा सकता हे
sarpagandha farming guide benefits – परीचय
सर्पगंधा एपोसाइनेसी कुल का प्लांट हे यह चीन और भारत की मुख्य ओषधीय पौधा हे
सर्पगंधा के मुख्य भाग जड़ , पत्तियों , फूलो का उपयोग ओसधियो में किया जाता हे
सर्पगंधा के बीज
सर्पगंधा की खेती के लिए इसे बीज , जड़ , तने की कलम , के द्वारा उगाया जाता हे बीज से बुहाई करने के लिए इसके बीजो को कुछ समय के लिए पानी में बीघों कर रख दिया जाता हे
जो बीज पानी में कुश समय बाद भी ऊपर तैरते हुये होते हे उनकी बुहाई नहीं की जाती हे जो भारी बीज होते उनकी ही बुहाई की जाती हे
इसके बीज को छटाई करके बुहाई की जाती हे बीज को भिगो कर रखने के 24 घंटे के लगभग समय में बीज की बुहाई कर सकते हे इसका बीज अधिक महंगा होता हे
जिसके कारण इसके बीजो को नर्सरी में ही उगाना ठीक रहता हे एक हेक्टेयर के लिये 6 किलो के लगभग बीज की आवश्यकता होती हे
सर्पगंधा के बीजो का उगने का प्रतिशत 30 से 40 के लगभग ही होता हे
सर्पगंधा में बीज उपचार
बीज की बुहाई के पहले बीज को उपचारीत किया जाता हे बीज उपचारित करने के लिये 2 ग्राम थीरम से 1 किलो बीज को उपचारीत किया जाता हे
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सर्पगंधा की नर्सरी कैसे तैयार करे
1 – नर्सरी तैयार करने के लिये अप्रेल -मई महीने में किसी भी छाया दार स्थान पर 3 गुना 10 फिट की कयारी बना कऱ तैयार करते हे
2 – 30 दिनों के लगभग में नर्सरी में बीज अंकुरण होने लगता हे
3 – पौधे 40 दिन के लगभग होने पर इसकी रुपाई खेत में कर दी जाती हे
4 – बीज अंकुरण के लिए बीज को 2 ग्राम बाविस्टिन से प्रति किलो मात्रा को उपचारित करना चाहिये
सर्पगंधा की खेति जड़ो द्वारा
सर्पगंधा की नर्सरी को सर्पगंधा की जड़ो से भी तैयार किया जा सकता हे
सर्पगंधा की 5 सेमी के लगभग की स्वास्थय जड़ो को काट कर उसकी FYM खाद ( अछि सड़ी हुई गोबर की खाद ) और रेतीली मिटटी को मिला कर नर्सरी बनाई जाती हे
नर्सरी को डेली पानी देकर नमी रखी जाती हे 20 दिन के लगभग में जड़ो से किल्ले फूटने लगते हे एक हेक्टेयर खेत की तैयारी के लिये 100 किलो के लगभग जड़ो की आवश्यकता होती हे
तने द्वारा नर्सरी तैयार करना
तने से नर्सरी तैयार करने के लिये 20 सेमि के लगभग के तने को काट लिया जाता हे ईस तने को नर्सरी में अंकुरण ( फुटाव ) करवाया जाता हे
तने से नर्सरी में फुटाव हो जाने के बाद में इस नर्सरी के पौधे को खेत में उगाया जाता हे
sarpagandha farming guide benefits – खेती की पूरी जानकारी
खेत की तैयारी और समय
इसकी खेती के लिये मई माह में खेत की गहरी जुताई करके धुप लगने के लिये खुला छोड़ दिया जाता हे जिससे जड़ो की वर्द्धि अच्छी होती हे
एक बरसात होने के बाद 10 ट्रॉली के लगभग प्रति हेक्टेयर सड़े हुये गोबर की खाद खेत में जरूर डाले खाद को अछि तरह खेत में फैला कर खेत की बुहाई कर देनी चाहिए
अब सर्पगंधा की खेती के लिये क्यारिया बना ले अब खेत में आप सर्पगंधा की नर्सरी को लगा सकते हे sarpagandha farming guide benefits
खेत की मिटटी का PH सर्पगंधा की खेती के लिए 8 पह से कम होना चाहिये खेत ऐसा होना चाहिये जिसमे पानी बहुत ही कम रुकता होना चाहिये खेत का जल निकास बहुत ही अच्छा होना चाहिये
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सिंचाई की आवश्यकता
सर्पगंधा में सिंचाई की अधिक आवशयकता नहीं होती हे गर्मी में 20 से 25 दिन के लगभग और सर्दी में जरुरत के अनुसार सिचाई की जानी चाहिये
सर्पगंधा की फसल में उरवर्क की आवश्यकता
रासायनिक खाद में NPK की बहुत आवश्यकता होती हे जिसके लिये नाइट्रोजन :फास्फोरस : पोटास की ( 60 : 30 : 30 ) मात्रा की आवश्यकता होती हे
खेत की तैयारी के समय फास्फोरस , पोटास की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की तिहाई मात्रा को डाला जाता हे
बाकि खाद को दो बार में खेत में निराई गुड़ाई के समय देना चाहिये जिससे पौधे का अच्छा विकास होगा
खेत में अच्छी पैदावार के लिए 15 टन या ट्रॉली गोबर की खाद डालना जरुरी होता हे
फसल का रखरखाव कैसे करे
यह 18 महीने के लगभग की फसल होती हे जड़ो को खुदाई करके निकला जाता हे जड़ो को निकलने के बाद सफाई की जाती हे सफाई करने के बाद जड़ो की ग्रेडिंग की जाती हे
]जिनमे छोटी – बड़ी जड़ो को अलग – अलग किया जाता हे ग्रडिंग होने के बाद जड़ो को सुखाया जाता हे सूखने के बाद जड़ो को पॉलीथिन की थैली में भर कर पैक किया जाता हे
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सर्पगंधा में लगने वाले किट और रोकथाम
1 – सफ़ेद सुंडी – सफ़ेद सुंडी किट सर्पगंधा की खेती को बहुत ही प्रभावित करते हे ये छोटे पौधे की जड़ो को काटकर उन्हें सूखा देते हे जिससे पैदावार में बहुत ही कमी आती हे
इसकी रोकथाम के लिए खेत की बुहाई के समय ही फोरेट को मिटटी में डाल देना अच्छा रहता हे
पौधे में बीमारियों की रोकथाम
1 – जड़ गलन – इस रोग के प्रभाव से पौधे का विकास प्रभावित होता हे ये रोग पैदावार में कमी लाता हे
2 – पत्ती धब्बा रोग – इस रोग के प्रभाव से पौधे के पत्तो पर भूरे और काले रंग के धब्बे बन जाते हे जिसके कारण पत्ते पीले पड़ जाते हे और पत्ते जीर्णे लगते हे
सर्फगन्धा की पैदावार
7 से 8 किवंटल के लगभग सुकी जड़े हमें 1 एकड़ के लगभग के खेत से प्राप्त होती हे जड़ो की अधिक मात्रा के लिए फूलो को निकाल देना चाहिये
अधिक फूलो को काट कर सर्पगंधा की खेती में अधिक जड़ो की पैदावार ली जा सकती हे
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सर्पगंधा की खेती की कमाई
सर्पगंधा का भाव 150 रूपये के लगभग होता हे लेकिन धीरे धीरे जंगलो में होने वाली सर्पगंधा की उपज घटने लगी हे जिसके कारण अब सर्पगंधा के भाव बढ़ने की आशा हे
सर्पगंधा की खेती में लगभग 2 लाख रूपये की आय होती हे
सर्पगंधा का ओसधियो और दवाओं में उपयोग
सर्पगंधा के प्लांट का मुख्य उपयोग दवाओं में किया जाता हे इसका उपयोग उच्च रक्तचाप ( ब्लड प्रेसर ) , आखो में और मस्तिक की दवाओं , पेट की समस्या और तनाव में भी , ह्रदय और अनिंद्रा भी उपयोग किया जाता हे
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