dhaniya ki kheti – धनिये की खेती बहुत ही कम समय में लाभ देने वाली फसल हे धनिये की फसल मसालों के अंदर बहुत ही महत्व पूर्ण स्थान रखती हे धनिया हरी पत्तियों के रूप में और दानेदार मशालो के रूप में बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता हे आप धनिये की खेती के अंदर समय पर किट और रोगों का नियंत्रण करके अच्छा लाभ कमा सकते हे ,
धनिये की पत्तियों का उपयोग ताजा हरी पत्तियों के रूप में किया जाता हे और धनिये के दानो का उपयोग सुखाकर के मसालों के अंदर और बिज के लिये किया जाता हे धनिये की खेती में अधिक उत्पादन के लिये आप अच्छी किस्मो के बीजो का उपयोग करे और समय पर सभी आवश्यक कार्य करते रहे जिससे फसल में रोग न लगे और हमें अच्छा उत्पादन मिले ,
आप को ईस post में धनिये की खेती से जुडी सभी जानकारी मिल जायेगी जिसमे आप इसकी खेती केसे करेंगे , कोन कोन से रोग से आप को फसल को बचाना हे ,कोन कोन सी दवाइयों की आवश्यकता आप को होने वाली हे ,
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धनिये की खेती में आवश्यक बाते – dhaniya ki kheti
- धनिये की खेती का समय
- खेती में मिटटी और पानी की आवश्यकता
- धनिये की खेती में जमीन की तेयारी
- धनिये की खेती में खाद की आवश्यकता
- धनिये की खेती में बिज की मात्रा
- बिज का उपचार
- धनिये की बहाई की विधिया
- खरपतवार का नियंत्रण
- सिचाई की आवश्यकता
- धनिये की खेती में किट और रोंग का नियंत्रण
- धनिये की खेती में खर्चा
- धनिये की खेती में लाभ ( आय )
- धनिये के फायदे
- घमले में धनिये की खेती केसे करे
- धनिये की खेती में उत्पादन को बढानें के लिये आवश्यक कार्य
धनिये की बहाई का समय
धनिये की बहाई आप रबी के सीजन में आसानी से कर सकते हे धनिये की बहाई का सबसे अच्छा समय अक्टुम्बर – नवम्बर तक का होता हे धनिये की बहाई आप दिसम्बर तक आसानी से कर सकते हे अगर आप समय के अनुसार धनिये की बहाई करते हे तब आप को इसमें बहुत अच्छा उत्पादन मिलता हे जब धनिये की आप बहाई ऑफ सीजन में करते हे तो आप को उत्पादन कम मिलता हे,
अगर आप धनिये की अगेती बहाई करते हे तो आप बहुत ही अच्छा भाव ईस फसल में ले सकते हे धनिये की फसल को पाले से नुकशान हो सकता हे अधिक गर्मी और तापमान में धनिये के बिज का अंकुरण नहीं हो पाता हे इसके लिये आप समय पर इसके बिज की बहाई करे ,
पाला गिरने के समय पर भी धनिये के बिज की बहाई नहीं करे ईस समय बिज उगने के बाद में भी पाले से फसल ( बिज अंकुरण ) ख़राब हो जायेगा आपको ईस समय पर धनिये की बहाई में नुकशान हो सकता हे ,
धनिये की खेती में मिटटी और पानी की आवश्यकता
धनिये की बहाई के लिये मिट्टे पानी की आवश्यकता होती हे अधिक भारी पानी में धनिये की बहाई नहीं करनी चाहिये धनिये की बहाई करने के लिये पानी का ph 6 से 7 के बिच में रहना चाहिये ,
धनिये की फसल को अधिक पोषण की आवश्यकता होती हे इसके लिये आपको उपजाव जमीन का चुनाव करना चाहिये भूमि का चुनाव करने के बाद में आप प्रति हेक्टयेर 8 से 10 टन गोबर की सड़ी हुई खाद को खेत में बिखेर दे ,
आप धनिये की सिचाई करते हे तो आप 5 – 5 फिट की क्यारी में धनिये की बहाई करे जिससे आपको धनिये की सिचाई करने में परेशानी नहीं होगी, आप आसानी से धनिये की सिचाई कर सकते हे और खेत से खरपतवार निकाल सकते हे ,
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धनिये की खेती में जमीन की तेयारी
आप धनिये की बिजाई करना चाहते हे तब आप अपने खेत की 2 से 4बार गहरी बहाई जरुर करवाए और खेत को धुप लगने के लिये छोड़ दे जिससे खेत में जमीन हलकी हो जायेगी और खरपतवार भी अधिक नहीं उगेगा ,
जब भी जमीन की पहली बहाई करे तब खेत में हलकी नमी होनी चाहिये जिससे मिटटी पूरी तरह हलकी और भुरभुरी हो जाती हे अच्छी बहाई वाली जमीन में धनिये की पैदावार बहुत ही अच्छी होती हे ,
धनिये की खेती में खाद की आवश्यकता
धनिये की खेती में जब खेत की तेयारी पूरी हो जाये उसके बाद में आप खेत में 10 टन के लागभग गोबर की साड़ी हुई खाद प्रति हेक्टयेर में बिखेर सकते हे ,
गोबर की खाद के साथ में प्रति हेक्टयेर में आप 40 किलो नाइट्रोजन (यूरिया ) , 30 किलो फास्फोरस , 30 किलो पोटाश की मात्रा काम में लेवे, फास्फोरस और पोटास की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की अधि मात्रा को आप अंतिम बहाई के समय खेत में डाल दे ,
आप जब भी धनिये की कटाई करे तब आप फसल में सूक्षम-पोषक तत्व देते रहे , जिससे धनिये के पोधे जल्दी विकाश कर लेता हे , जिससे आप बहुत ही अच्छा उत्पादन धनिये की फसल में ले सकते हे ,
धनिये की खेती में बिज की मात्रा
धनिये की बहाई करने के लिये आपको 25 से 30 किलोग्राम बिज की आवश्यकता होगी , बिज की बहाई के पहले आप बिज को दो टुकडो में तोड़ दे जिससे बिज का अंकुरण अच्छा होता हे धनिये के बिज के अंदर 2 अंकुरण की श्रमता होती हे जिसके कारण बिज को टुकडो में तोड़ कर बहाई करनी चाहिये जिससे बिज का अंकुरण अच्छा होगा व् धनिये की खेती में अच्छा उत्पादन मिलेंगा ,
जब भी आप धनिये की बहाई करे तब आप सिचाई वाली भूमि में 20 किलो के लगभग बिज की मात्रा काम में लेवे. जिससे बिज का जमाव अच्छी मात्रा में होता हे ,
धनिये की बहाई आप जब भी करे तब आप बिज का उपचार जरुर करे जिससे बिज पूरी तरह से उगेग , और बिज उगने के बाद में भी रोगों के कारण धनिया ख़राब नहीं होगा,
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बिज का उपचार – dhaniya ki kheti
धनिये के बिज का का उपचार कार्बनडेजिम 50%wp या ट्राईकोडर्मा से कर सकते हे धनिये की 1 किलोग्राम मात्रा में आप बिज उपचार के लिये कार्बनडेजिम या ट्राईकोडर्मा की 2 से 4 ग्राम पाउडर की मात्रा काम में लेवे ,
धनिये के अच्छे अंकुरण के लिये आप धनिये के बिज को 8 से 12 घंटे के लगभग पानी में भीगो कर रख सकते हे 12 घंटे तक पानी में भीगने के बाद में बिज को छाया में सुखा कर के बिज की बहाई क्यारी में कर सकते हे ,
कुछ लोग केरोसिन से भी बिज उपचार करते हे कुछ लोग निम् तेल से और गोमूत्र से भी बिज उपचार करते हे इनसे बिज उपचार करने से भी बिज में फंगस नहीं आती हे और दीमक से भी बिज का बचाव होता हे यह उपयोग करने से भी बिज का अंकुरण अच्छा होता हे Coriander Farming
धनिये की बहाई की विधिया
धनिये की बहाई में बीजो का अंकुरण सही तरह से हो इसके लिये आप को धनिये की बहाई की अच्छी विधि को काम में लेना होगा जिससे आपको अच्छा उत्पादन मिले और आप अच्छी आय कर सके, धनिये की बहाई बहुत से तरीको से की जाती हे जिनको अपनाकर के आप अच्छा उत्पादन ले सकते हे,
धनिये की बहाई आप बेड पर, मेड पर , क्यारी में , अलग अलग तकनीक से कर सकते हे जिनके लिये आप बिज की गहराई का और दुरी का विशेष धयान रखे, धनिये के बिज की गहराई 2 से 3 सेमी तक ही रखनी चाहिये ,अधिक गहराई में अंकुरण बहुत ही कम होता हे,
बेड पर बिज की बहाई करने पर आप बिज से बिज की दुरी 7 से 8 सेंटीमीटर रखे , बेड पर बिज की बहाई करने पर धनिये की खेती में लाइन से लाइन की दुरी 30 सेंटीमीटर के लगभग रखना चाहिये इसकी बहाई आप मशीन से आसानी से कर सकते हे
आप क्यारी में जब बिज की बहाई करते हे तब आप हाथ से ही आसानी से क्यारी में बिज की बहाई कर सकते हे इसके लिये बिज को हाथ से छिडकना होता हे बिज की छटाई के बाद में आप हलकी खाद की परत क्यारी में बिज के उपर बना दे जिससे बिज जल्दी उगेगा और क्यारी में नमी बनी रहेगी,
खरपतवार का नियंत्रण
धनिये की फसल में बिज के अंकुरण के साथ में ही अनावश्यक खरपतवार उगने लगती हे धनिये में खरपतवार का नियंत्रण मजदूरो से करवाना ही अच्छा रहता हे धनिये की फसल में 2 बार खरपतवार का नियंत्रण करना अच्छा रहता हे पहली बार आप खरपतवार का नियंत्रण 20 से 25 दिन की फसल में और दूसरी बार आप फसल में 40 से 50 दिन के लगभग में खरपतवार का नियंत्रण कर सकते हे ,
खरपतवार को फसल से निकाल देने के बाद धनिये की पहली कटाई कम समय में हो जाती हे और धनिये का विकाश जल्दी होता हे और उत्पादन भी बढता हे ,
खरपतवार का नियंत्रण आप खरपतवार नाशक – दवाई से भी कर सकते हे इनका जमीन और फसल पर नकारात्मक प्रभाव भी होता हे ,खरपतवार का उपयोग समय पर करना चाहिये इससे अधिक गर्मी में फसल जल भी सकती हे इसके लिये आप पेंडामेथिलिन का उपयोग कर सकते हे,
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सिचाई की आवश्यकता
धनिये की बहाई 2 कारणों से की जाती हे धनिये के बिज के लिये और धनिये की हरी पत्तियों के लिये, आप इनमे से किस कारण के लिये खेती करने वाले हे ईसी के अनुसार धनिये की फसल में सिचाई की जाती हे,
हरे धनिये के लिये की गई खेती में आप गर्मी के अनुसार सिचाई कर सकते हे , बिज की बहाई के समय पहली सिचाई करे और दूसरी सिचाई आप 20 दिन के लगभग में करे, आगे की सिचाई आप फसल की कटाई के अनुसार करते रहे, जिससे आप अधिक समय तक उत्पादन ले सकते हे,
आप (दाने) बिज के लिये धनिये की खेती में बिज की बहाई के बाद पहली सिचाई 25 से 30 दिन में और दूसरी सिचाई आप 50 दिन के लगभग में करे, तीसरे बार की सिचाई आप 70 दिन के लगभग में करे , चोथे बार की सिचाई आप 90 दिन के लगभग की फसल में करे, 3 महीने के लगभग की फसल में बिज पककर तेयार हो जाता हे ,
आप धनिये की खेती हरी पत्तियों के लिये करने वाले हे तो आप धनिये की खेती के लिये अच्छी उन्नत किस्मो और हाइब्रिड बीजों का चुनाव करे इसके लिये आप अपने इलाके के अनुसार अच्छे बिज का चुनाव करे खरीदने के लिये यहा click करे,
धनिये की खेती में किट और रोंग का नियंत्रण – dhaniya ki kheti
धनिये में किट
चेपा वायरस –
यहा धनिये की फसल में लगने वाला सबसे खतरनाख किट हे यह फसल में बिज आने के समय और हलकी गर्मी होने पर लगने लगता हे ,
रोकथाम केसे करे – ईस रोग की रोकथाम के लिये आप फसल के 20 दिन के होने पर ही आप हर 7 दिन में निम् तेल और गो मूत्र का स्प्रे फसल पर करे ,
रोग का प्रभाव अधिक होने पर आप UPL कंपनी के LANCER GOLD का और bayer कंपनी के admire का उपयोग कर सकते हे यह धनिये की फसल से थ्रिप्स , चेपा ,माहू , वाइट्-फलाई , हरे मछेर ,सभी रस चुसक जेसे कीटो के लिये सबसे अच्छी दवा हे,
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मोयला ( एफिड ) किट –
यह किट अधिकतम धनिये की फसल में फुल आने के समय और दाना बनने के समय आता हे, यह धनिये की खेती में बिज के उत्पादन पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालता हे यह बहुत ही छोटा किट होता हे और हवा में उड़ता रहता हे इसके अधिक प्रभाव से फसल का उत्पादन पूरा गीर जाता हे,
रोकथाम के उपाय – ईस किट की रोकथाम के लिये आप Actra , admire , Ekka नाम की दवाइयों का स्प्रे फसल पर कर सकते हे,
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उकठा ( विल्ट )रोग –
यह धनिये की फसल का सबसे नुकसान पहुचाने वाला रोग हे ईस रोग के प्रभाव से धनिये की पूरी फसल ही पीली होने लगती हे और पोधे मुरझाकर के सुकने लगती हे यह रोग धनिये की पूरी फसल को बर्बाद कर देता हे धनिये की फसल को बचाने के लिये आप ईस रोग का नियंत्रण समय पर करे ,
रोकथाम केसे करे – ईस रोग की रोकथाम के लिये आप अपनी फसल में कार्बनडेजिम 50% wp दवा या ट्राईकोडर्मा विरडी का स्प्रे फसल पर करे , इसके स्प्रे के लिये आप 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर के अपने धनिये की फसल पर करे और आप पानी के साथ में भी क्यारी में इसे दे सकते हे ,
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छाछया ( पाउडरी मिल्यूड ) रोग –
ईस रोग को कई जगह छाछया ,पाउडरी मिल्यूड , भभूतिया , चूर्णिल आसीत रोग के नाम से जाना जाता हे यह रोग धनिये की पत्तियों और दानो का उत्पादन को कमजोर करता हे और हमारी फसल ख़राब कर सकता हे इसके प्रभाव से पत्तिय सफ़ेद और पिल्ली होने लगती हे,
रोकथाम केसे करे – इसकी रोकथाम के लिये आप बिज की बहाई के समय कार्बेनडेजिम की 2 से 4 ग्राम दवा से प्रतिकिलोग्राम बिज का बिज उपचार करे या आप फसल में भी सिचाई के समय इसको दे सकते हे , आप इसका प्रतिलीटर पानी में 4 ग्राम दवा को मिलाकर के फसल पर स्प्रे भी कर सकते हे आप कार्बेनडेजिम के अलावा मेन्कोजेब का उपयोग भी फसल में कर सकते हे,
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धनिये की खेती में खर्चा
धनिये की खेती में बहुत ही कम लागत आती हे अन्य फसलो की प्रति हेक्टयेर की लागत के आधार पर आप को यह बहुत ही कम आयेग , धनिये की खेती की लागत आप लगा सकते हे,
- बहाई की लागत
- बिज की लागत
- दवाई की लागत
- मजदूरी
यह सभी गणित आप अपने इलाके के अनुसार लगा सकते हे जिसमे यह सभी लागत का पता आप को चल जायेगा हमारे यहाँ प्रति बीगा में लगभग 3 से 4 हजार के लगभग का खर्चा आता हे, Coriander Farming,
धनिये की खेती में लाभ
धनिये की खेती में आप 3 से 4 लाख की आय सामान्य रूप से प्रति हेक्टयेर में कर सकते हे धनिये की खेती में कमाई का अंतर इसकी खेती की विधि, खेती के समय , खेती के भाव , के आधार पर प्रति हेक्टयेर में आप बहुत बहुत अधिक कमाई कर सकते हे,
कई इलाको में धनिये की खेती को एक बार तेयार होने के बाद में जड़ सहित निकाल कर के बेचा दिया जाता हे हमारे इलाके में धनिये की खेती की 5 से 8 बार तक कटाई की जाती हे जिससे हमारा उत्पादन बहुत अधिक बड जाता हे और हम धनिये के 5 से अधिक बार बेचने में अलग अलग भाव देख ले लेते हे ,
हमारे यहा की जाने वाले खेती के आधार पर आप बहुत ही अच्छा मुनाफा धनिये की खेती में कमा सकते हे हम यहाँ क्यारी में धनिये की खेती करते हे और 5 से अधिक बार तक हम धनिये की कटाई करते हे और बाद में हम इसमें बिज तेयार करते हे,
धनिये के फायदे
धनिये की पत्तियों मे बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हे जिनमे विटामिन फास्फोरस फाइबर ,वशा, प्रोटीन ,मिनरल्स , केल्शियम , आयरन, सभी मोजूद होते हे
- धनिये के अंदर पाचन शक्ति को मजबूत करने वाले गुण पाए जाते हे
- धनिये में आँखों की रोशनी को बढाने वाले गुण होते हे
- यह डायबिटीज में भी फायदेमंद होता हे
- यह कोलेस्ट्रोल को कम करने में भी फायदेमंद हे,
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घमले में धनिये की खेती केसे करे – dhaniya ki kheti gamle me
जब आप घर के घमले में या टब में धनिये को उगाना चाहता हे आप को कुछ सामान की आवशयकता होती हे तो,
- आप को सबसे पहले घमले में भरने के लिये मिटटी लेनी हे
- मिटटी लेने के बाद में आप मिटटी में से खरपतवार और कंकड़ पत्थर को साफ करना हे
- मिटटी में आप फुंगीसाईंड और वर्मी-कम्पोस्ट को मिक्स करके घमले के लिये मिटटी तेयार कर सकते हे
- अब आप घमले के अंदर मिटटी को भर सकते हे
- अब आप घमले में मिटटी के उपर बिज का छिडकाव कर दे
- बिज का छिडकाव मिटटी में कर देने के बाद में आप हलकी मिटटी की परत बिज के उपर डाल दे जिससे बिज अच्छी तरह अंकुरण होगा
- जब बिज उगने ( अंकुरण होने ) लगे तब घमले को हलकी छाया मिलनी जरुरी हे
- घमले में धनिया 30 दिन के लगभग में तेयार हो जाता हे
- आप घमले में से धनिये की कम से कम 5 कटाई कर सकते हे
- अधिक बार कटाई के लिये आप घमले में पानी और पोषण की पूर्ति समय समय पर करते रहे,
धनिये की खेती में उत्पादन को बढानें के लिये आवश्यक कार्य
- धनिये की खेती में अच्छे उत्पादन के लिये आप अच्छे बिज का चुनाव करे
- अच्छी खाद और पोषण यूक्त मिटटी का चुनाव धनिये की खेती में करे
- पाले से फसल का बचाव करे इसके लिये गंदक अमल का स्प्रे आप फसल पर पाला गिरने के समय कर सकते हे
- अच्छे उत्पादन के लिये आप बिज की बहाई के 20 दिन के लगभग से ही खरपतवार का नियंत्रण करते रहे
- धनिये की कटाई के 24 घंटे के अंदर ही सिचाई कर देना अच्छा रहता हे
- छोटे कीटो , मछर और वायरस के लिये आप फसल में समय समय पर दवाओ का स्प्रे फसल पर करते रहे
- धनिये की फसल में उखटा और चुर्निला-आसिता रोग के कारण भी हमारी फसल ख़राब हो सकती हे इसके लिये आप समय समय पर दवाओ का स्प्रे फसल पर करते रहे
- धनिये की फसल में कटाई के बाद में सूक्ष्म पोषक तत्वों( खाद) का छिडकाव फसल में करते रहे – dhaniya ki kheti
आपने बहुत सही जानकारी दी है आपका धन्यवाद
THANKS madam JI
AAPKE SUJHAV OR COMMENTS KE LIYE
धन्यवाद मेडम आपका