भारत में कटहल ( jackfruit ) को जंगली फल और जंगली सब्जी के रूप में जाना जाता हे वर्तमान में अभी कटहल की मांग बहुत बढ़ गयी हे दिन – प्रतिदिन अब इसकी मांग बढ़ने वाली हे कटहल मूल रूप से भारत का पौधा है भारत में कटहल का उत्पादन बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है
कटहल का पेड़ एक बहुशाखीय पौधा है jackfruit की खेती किसानो के लिए बहुत ही अधिक लाभदायक है किसान कटहल की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है कटहल का पौधा बहुत सालो तक इनकम देता है
कटहल की मांग दिनों – दिन बढ़ती जा रही है जब से कोरोना वायरस ने दुनिया में दस्तक दी है तब से लोग मांशाहारी भोजन का सेवन भी कम करने लगे है लोग मासाहारी भोजन को छोड़कर के अब jankfruit की तरफ बढ़ने लगे है जिनमे से कटहल सबसे जयादा पोस्टिक , गुणकारी ,पोस्टिक तत्व से भरपूर होता है
इस पोस्ट में हम आपको कटहल की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे
– कटहल की खेती कैसे करे
कटहल के भारत में अन्य नाम
- हिंदी में – कटहल
- मराठी में – फणस
- उड़िया में – पनामा
- मलयालम में – चका
- कन्नड़ में – हलाकू
- तमिल में – पला
- तेलगु में – पनासा
- गुजराती में- FANASA
कटहल को सेवन करने का – लाभ
- कटहल हड्डियों को मजबूत और ताकतवर बनाता हे
- कटहल हमारे शरीर में ऊर्जा ( ताकत ) को बढ़ाने में मदद करता हे
- कटहल हमारे शरीर में पाचन शक्ति को बढ़ाता हे
कटहल का उपयोग कैसे और कब कर सकते है
कटहल के फल पकने के बाद मिठे लगने लगते है कटहल के फल में पोस्टिक तत्व बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है इसमें विटामिन A और C व् कुछ मात्रा में खनिज , आयरन और भी बहुत से पोस्टिक तत्व भी पाए जाते है
जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होते है अगर कटहल के बने वयंजन का सेवन हम रोज करते है तो हमें पाचन सम्बंदित परेशानिया नहीं होती है
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कटहल का उपयोग हम सब्जी बनाकर के ,जूस बनाकर के, पापड़ बनाकर के , अचार बना कर के , गर्मी में शीतल पेय बना कर के कर सकते है
कटहल की मुख्य किस्मे
भारत में कटहल की किस्मो को मुख्य तौर पर दो भागो में बाटा गया है हलकी किस्मे और कठोर फल की किस्मे
कटहल के देशी पौधे आप बीज से भी तैयार कर सकते है लेकिन आप अच्छी किस्म के पौधे तैयार करने के लिए किसी भी अच्छी कटहल की किस्म से ग्राफ्टेड पौधे तैयार करके अच्छे पौधे तैयार कर सकते है और बहुत जलधि ही पौधे पर फल भी ग्राफ्टेड तकनीक से तैयार पौधे में आने लगते है
भारत में सबसे अधिक कटहल उत्पादन वाले राज्य
बिहार , पश्चिम-बंगाल , केरल , तमिलनायडू ,असम , उड़ीसा , UP आधी राज्य में कटहल की बागवानी अधिक की जाती है अभी बंगाल और UP में इसकी बागबानी बढ़ रही है
अभी वर्तमान में कटहल की खेती छायादार वृक्ष में और मिश्रित खेती के लिए भी बढ़ने लगी है
कटहल की खेती में मिटटी का प्रकार और आवश्यकता
कटहल के पौधे को किसी भी तरह की जलवायु में आप लगा सकते है कटहल की खेती के लिए ऐसी भूमि का चुनाव करना चाहिए जहा जल का जमाव नहीं होना चाहिए जहा भी पानी जमा होता हे यहाँ पर कटहल के पौधे का विकाश नहीं होता हे
कटहल की खेती के लिए मिटटी का PH 6.5 से 7.5 के बिच में होना आवश्यक हे रेतीली मिटटी JACKFRUIT – FARMING के लिए सबसे अच्छी होती हे
कटहल की खेती के लिए ऐसी भूमि का चुनाव करना चाहिए जिसमे जैविक उर्वरक ( गोबर की खाद , वर्मीकम्पोस्ट ) का उपयोग अधिक किया गया हो
ऐसी भूमि में पौधे जलधि विकाश करते है कटहल की खेती के लिए जमीन ऐसी नहीं होनी चाहिए जिसमे हमेसा नमी बनी रहे जयादा समय तक नमी वाली भूमि कटहल की खेती के लिए उपर्युक्त नहीं होती हे
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कटहल के पौधे लगाने के समय जमीन पूरी तरह सुखी और रेतीली होनी चाहिए , अधिक गीली मिटटी में पौधे तनाव के कारण सुख जाते है या विकास पूरी तरह रुका हुआ होता है अधिक जल जमाव वाली भूमि पर कटहल के पौधे गिरने की शिकायत अधिक देखि जाती है
कटहल के पौधे कैसे तैयार करे
कटहल के पौधे को सामान्य दोनों ही तरह से तैयार कर सकते हे पौधे आप ग्राफ्टेड विधि से या बीज को उगाकर के भी तैयार कर सकते है
कटहल की खेती की जलवायु
दक्षिण भारत में शुष्क और गर्म वाले स्थान पर कटहल की खेती करना सबसे उपर्युक्त होता हे अधिक ठंढा मौसम कटहल की खेती को नुकसान पहुंचाता हे इसमें फल का विकाश पूरी तरह नहीं हो पाता है
जयादा ठण्ड वाले स्थान कटहल की खेती के लिए अच्छे नहीं होते है कटहल की खेती में अधिक ठण्ड पौधे के विकास और फल के बनने में रुकावट करते है और अधिक गर्म हवाएं भी कटहल की खेती में उत्पादन को बहुत ही कम कर देती है
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पौधे लगाने के लिए मिटटी कैसे तैयार करे
सबसे पहले उस जगह का चुनाव करे जहा पौधे लगाने है इसके बाद पौधे लगाने की जगह की मिटटी में मिटटी के ढेले नहीं होने चाहिए और मिटटी पूरी तरह भुरभुरी होनी चाहिए
खेत को इस तरह से तैयार करे की खेत में कही भी पानी का रुकाव और जमाव नहीं हो पाये , पौधे की रुपाई के पहले खड़े में आवश्यक मात्रा में जैविक खाद और उर्वरक मिलाकर के भर दे
पौधे को गड्ढे में लगाने के लिए जुलाई – से – सितम्बर का समय सबसे अच्छा होता है इस समय पौधे को पानी देने की समस्या नहीं होती है और पौधे की जड़े भी जलधि विकाश करने लगती है और पौधा का विकास होने लगता है
पौधे लगाने की विधि और पौधे का अंतराल
कटहल के पौधे को जब भी आप लगाना चाहे तब कुछ बातो का आप विशेष धयान रखे पौधे लगाने के लगभग 1 महीने के पहले आप पौधे लगाने के स्थान पर 1 मीटर लम्बाई 1 मीटर चौड़ाई और 1 मीटर गहराई का गड्डा खोद के खुला छोड़ दे और धुप लगने दे
धुप लगने के बाद 20 से 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मीकम्पोस्ट के साथ में आधा किलो सिंगल सुपर फास्फेट भी मिटटी के साथ में मिक्स करके खड्डे को भर देना हैं
मिटटी में दीमक के प्रभाव को कम करने के लिए आप दीमक रोधी दवा का उपयोग करके दीमक को रोक सकते हे कटहल के पौधे को जमीन पे लगाने के लिए सबसे अच्छा समय ( जून – जुलाई ) है
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पौधे से पौधे की दुरी
कटहल के पौधे से पौधे की दुरी 10 – 10 मीटर के लगभग रखना चाहिए कटहल के पौधे का फैलाव बहुत अधिक होता है
आप बागबानी में शुरुआती दिनों में कटहल के पौधे के बिच दूसरी फसलों की बागबानी कर सकते है जिनमे आप पपीता, अमरूद , निम्बू , अनार , चीकू , आधी की बागबानी कर सकती है
आप इनके पौधे के बिच में सहफसल में फूलो की खेती और सब्जियों की खेती भी कर सकते है जिससे आप शुरुआती सालो में आय प्राप्त कर सकते है
कटहल के खेत में सिचाई – jackfruit farming
कटहल के पौधे को हमेसा बरसात के समय में लगाना चाहिए जिससे पौधे की जड़े जलधि विकास करेगी और पौधा आसानी से वातावरण में विकास करने लगेगा सभी तरह के पौधे को आप आसानी से बरसात के मौसम लगा सकते हे
बरसात के मौसम में पौधे लगाने से पौधे में सिचाई का शेड्यूल नहीं बनाना होगा और प्रतिदिन पानी देने की आवश्यकता भी नहीं होगी आप शुरुआती 2 से 3 साल तक पौधे का विशेष धयान रखे जिसमे पौधे को जब भी आवश्यकता हो तब पौधे की सिचाई करे
बरसात के मौसम में कटहल के पौधे में कभी भी सिचाई नहीं करनी चाहिए अधिक बरसात के समय पौधे के गड्डे से पानी को निकालते रहे पौधे में अगर पानी अधिक होगा तो आप का पौधा मर भी सकता हे और पौधे का विकास भी रुक सकता हे
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कटहल के खेत में खाद और उर्वरक की आवश्यकता
कटहल के पौधे को खाद देने के लिए आप पौधे के चारो तरफ खड्डा बनाकर के उसमे खाद दे जिससे खाद पौधे को लम्बे समय तक मिलती रहे खाद पौधे के तने से 50 सेंटीमीटर दूर रहनी चाहिए
कटहल के पौधे में खाद को 2 टुकड़ो में पौधे को दे , आप पौधे में गर्मी में जुलाई के महीने में और सर्दी में अक्टुम्बर – नवंबर के महीने में पौधे को खाद दे जिससे पौधे का विकास होता रहे
खेत में खरपतवार का नियंत्रण करे
पौधे के सही विकास के लिए आप को पौधे से खरपतवार का समय-समय पर नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक होता हे आप पौधे से खरपतवार को निकालते रहेंगे तो पौधा अच्छी तरह विकास करता रहेगा आप कटहल में अच्छी फसल के लिए साल में दो बार खरपतवार को पौधे से दूर करे ने कमाया मोटा मुनाफा
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कटहल की खेती में इंटर क्रॉपिंग
आप कटहल की खेती के अंदर शुरुआती कुछ सालो तक आसानी से इंटरक्रॉपिंग कर सकते हे आप ऐसी फसलों का चुनाव कर सकते हे जिनको कम पानी की आवश्यकता होती है
आप चने , मुंग , तिलहन जैसी फसलों को कटहल के अंदर इंटरक्रॉपिंग के लिए चुन सकते है
आप पौधे के जलधि विकाश के लिए धयान रखे की पौधे के अंदर 4 से 5 साल तक फल नहीं आने पाए , आप पौधे से फल बंनने के पहले ही कलियों को निकाल के पौधे की वर्दी को बड़ा सकते है
कटहल की खेती में किट और रोग का नियंत्रण
किट
कटहल की खेती में मुख्य किट मिली बैग और ब्राउन वेवील है इसका प्रभाव पेड़ की नयी कलियों और नए फलो पर अधिक और बहुत जलधि होता है इस किट की रोकथाम के लिए आप समय पर रासायनिक दवा का स्प्रे करके अच्छी फसल ले सकते है
इस रोग के प्रभाव दिखाई देने पर आप पौधे के निचे गिरे हुए सभी पत्तियों और फलो को इकट्ठा करके जला दे जिससे अन्य पौधे पर इस रोग का प्रभाव नहीं होगा , इसके प्रभाव को कम करने के लिए आप मई- जून के महीने में बाग की बुहाई जरूर कर दे
रोग
कटहल की खेती में सबसे अधिक रोग फल की सड़न का और तना छेदक का होता है जिसकी वजह से फल पौधे पर सढ़ कर गिरने लगते है इस रोग की रोकथाम के लिए आप फल के विकाश के समय 0.05 % बाविस्टिन का स्प्रे 10 से 15 दिन के अंतराल पर दुबारा स्प्रे करते रहे
तना छेदक के किट पौधे के तने में छेद करके पौधे को सूखा देते हे जिससे पौधे का उत्पादन बहुत ही कम हो जाता हे इसमें आप मिटटी का तेल का स्प्रे करके भी भी इस किट के प्रभाव को रोक सकते है
पौधे की देखभाल कैसे करे
जब भी आप पौधे लगाए तब एक साल तक पौधे की अच्छी तरह देख भाल करे और पौधे को समय – समय पर खाद और पानी देते रहे , नए पौधे में कभी भी खरपतवार नहीं रहने देना हे
पौधे में 5 फिट की उचाई तक कोई भी शाखा नहीं निकलने देना चाहिए , आप 5 फिट की उचाई पर आप अच्छी सी 3 से 4 सखाओ को बढ़ने देना चाहिए , 2 से 3 साल तक आप पौधे पर फल को लगने नहीं देना चाहिए , जिससे पौधे का विकास जलधि होगा और पेदावार भी अच्छी होगी
फल की तुड़ाई कब करे
आप कटहल के पौधे जब लगाते है तब अगर आप पौधे में अच्छी तरह खाद का और उर्वरक का उपयोग करते रहेंगे तब 6 से 8 साल के अंदर आप के पौधे पर फल आने लगेंगे 8 साल के बाद आप के पौधे पर फलो की तुड़ाई होने लग जाएँगी
ग्राफ्टेड कटहल के पौधे पर आप को दूसरे साल से ही फल लगने लगते है लेकिन आप 4 से 5 साल के पौधे से उत्पादन लेना सुरु कर सकते है बाजार में सामान्य कटहल जनवरी से जून तक उपलब्ध होते हे लेकिन कुछ अगेती किस्मे जल्दी ही मार्किट में आ जाती हे और कुछ किस्मे साल भर ही कटहल देती रहती हे
कटहल की पेदावार और उत्पादन
कटहल के पौधे पर अधिक पैदावर के लिए मौसम , पानी , खाद , मिटटी , पौधे की किस्म आधी भी निर्भर करती हे सही तरह का वातावरण अगर पौधे को मिलेगा तो आप कटहल में बहुत अधिक आय प्राप्त कर सकते है
कटहल के फल का औसत वजन 10 किलो के लगभग का होता है कटहल के एक स्वस्थ्य पौधे पर 100 फल के लगभग आसानी से प्राप्त हो जाते है और कटहल के पौधे पर 500 से 800 किलो के लगभग का वजन आसानी से एक पौधे से मिल जाता है
कटहल ( jackfruit farming ) से होने वाली आय
कटहल के पौधे में शुरुआती समय में फल बहुत ही कम आते है अच्छे उत्पादन के लिये हमें ग्राफ्टेड पोधे को लगाना चाहिये जिससे हमें बहुत ही कम समय में आय मिलने लगती हे
10 साल के पौधे से होने वाली अनुमानित आय
10 साल का कटहल का पोधा अच्छी तरह आय देने लग जाता हे अगर हम अच्छी तरह से खाद – पोषण का धयान रखते हे तो हमारा उत्पादन अच्छा होता हे पोधा अच्छा विकाश करता हे
- 800 किलो उत्पादन * 30 रुपए किलो = 24000 रूपये के लगभग की आय 1 पौधे से
- 10 पौधे से होने वाली आय === 2 लाख 50 हजार के लगभग
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आप कटहल के पौधे को खेत के चारो और मेड पर लगा कर भी कटहल की बागबानी शुरू कर सकते है और बहुत ही अच्छा लाभ कटहल ( jackfruit farming in hindi ) की खेती से ले सकते है